चीन का नया फरमान: नाम बताओ, बाकी हम देख लेंगे ताइवान में बढ़ी चिंता
चीन और ताइवान के बीच लंबे समय से तनाव बना हुआ है, लेकिन इस बार बीजिंग का नया आदेश ताइवान में घबराहट बढ़ाने वाला है। चीन ने एक नया सूचना चैनल शुरू किया है, जिसके जरिए आम लोगों से ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करने वालों की जानकारी मांगी जा रही है। इस कदम से ताइवान में डर का माहौल बन गया है।
चीन का आदेश: ‘जो भी स्वतंत्रता समर्थक हो, उसका नाम बताओ’
चीन के स्टेट काउंसिल के ताइवान मामलों के कार्यालय ने हाल ही में एक ईमेल चैनल लॉन्च किया है। इस चैनल के जरिए चीन जनता से उन लोगों की पहचान उजागर करने को कह रहा है, जो ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन कर रहे हैं या चीन-ताइवान के पुनर्मिलन की प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं।
चीन विशेष रूप से उन सरकारी अधिकारियों, नेताओं और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को निशाना बना रहा है, जो डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) का समर्थन कर रहे हैं। बीजिंग का कहना है कि ये लोग “गुंडों” की तरह काम कर रहे हैं और ताइवान को चीन से अलग रखने की कोशिश कर रहे हैं।
ताइवान में बढ़ती चिंता: ‘अब अगला कौन?’
इस फरमान के बाद ताइवान में तनाव बढ़ गया है। कई लोगों को डर है कि चीन केवल ताइवान के नागरिकों को ही नहीं, बल्कि विदेशों में रह रहे ताइवान समर्थकों को भी निशाना बना सकता है।
हाल ही में ताइवान सरकार ने तीन चीनी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को निष्कासित कर दिया था, जिन्होंने ताइवान पर चीनी सेना के कब्जे का समर्थन किया था। ताइवान सरकार का कहना है कि इस तरह की बयानबाजी समाज के लिए खतरा है। हालांकि, चीन के इस नए आदेश के बाद लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं—क्या अब ताइवान में स्वतंत्र रूप से अपनी राय रखना मुश्किल हो जाएगा?
पहले भी उठाए गए थे ऐसे कदम
चीन पहले भी ताइवान समर्थकों के खिलाफ सख्त कदम उठा चुका है। पिछले साल, चीन ने ताइवान के मशहूर बिज़नेसमैन रॉबर्ट त्साओ और सांसद प्यूमा शेन के हांगकांग, मकाऊ और मुख्यभूमि चीन में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था।
अब चीन ने आम लोगों से ही सहयोग मांग लिया है जो भी ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन कर रहा है, उसका नाम बताओ, बाकी हम देख लेंगे। हालांकि, चीन ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इन लोगों पर क्या कार्रवाई की जाएगी।
ताइवान का पलटवार: ‘हम अपनी संप्रभुता की रक्षा कजाएगी।
ताइवान के राष्ट्रपति विलियम लाइ चिंग-ते ने चीन को ‘विदेशी दुश्मन’ करार देते हुए कहा कि बीजिंग ताइवान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सख्त कदम उठाने का वादा किया है, जिसमें सैन्य अदालतों को दोबारा सक्रिय करना और जासूसी व राजद्रोह के मामलों पर सख्त निगरानी रखना शामिल है।
इसके अलावा, ताइवान सरकार अब चीन के साथ व्यापार और सामाजिक गतिविधियों पर भी कड़ी निगरानी रखने की योजना बना रही है।
क्या चीन का यह कदम असरदार होगा?
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसे अलग होने से रोकने के लिए हरसंभव कदम उठा रहा है। दूसरी ओर, ताइवान की जनता और सरकार लगातार अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने की कोशिश कर रही है।
इस नए आदेश से ताइवान में डर का माहौल तो जरूर बना है, लेकिन बड़ा सवाल यह है—क्या इस तरह की सख्ती से चीन ताइवान को झुका पाएगा, या फिर इससे ताइवान में चीन के खिलाफ और अधिक आक्रोश बढ़ेगा?
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है.

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